
उत्तर-पूर्व दिशा में बाथरूम: समस्याएँ और वास्तु उपाय
वास्तु शास्त्र में उत्तर-पूर्व (ईशान कोण) घर का सबसे पवित्र और सकारात्मक ऊर्जा देने वाला हिस्सा माना जाता है। यहाँ सुबह की धूप आती है, जो घर में शांति, ज्ञान और पॉज़िटिविटी लाती है।
लेकिन आधुनिक घरों और फ्लैट्स में अक्सर जगह की कमी के कारण बाथरूम या टॉयलेट उत्तर-पूर्व दिशा में बन जाता है। यह वास्तु दोष माना जाता है।
👉 सवाल यह है:
अगर बाथरूम उत्तर-पूर्व में हो तो क्या समस्याएँ आती हैं और उन्हें कम करने के लिए कौन-सी पेंटिंग्स लगाई जा सकती हैं?
⚠️ उत्तर-पूर्व दिशा में बाथरूम से होने वाली समस्याएँ
1. रोशनी और पॉज़िटिविटी की कमी
उत्तर-पूर्व दिशा में सुबह की हल्की धूप आनी चाहिए।
बाथरूम होने पर यह रोशनी रुक जाती है और घर में ग़लूमी (उदासी) और अंधेरा सा माहौल बनता है।
2. नमी और सीलन की समस्या
बाथरूम में हमेशा पानी और नमी रहती है।
उत्तर-पूर्व में धूप कम आने से यह नमी लंबे समय तक बनी रहती है, जिससे सीलन, फंगस और गीलापन बढ़ जाता है।
3. हवा और वेंटिलेशन की कमी
बाथरूम में अक्सर छोटी खिड़कियाँ होती हैं।
इससे हवा का प्रवाह कम हो जाता है और अंदर बंद व अस्वस्थ माहौल बन जाता है।
4. लेआउट और सौंदर्य पर असर
उत्तर-पूर्व को खुला और रोशनी वाला ज़ोन होना चाहिए।
यहाँ बाथरूम होने से घर का लेआउट बिगड़ता है और प्रॉपर्टी वैल्यू भी कम हो सकती है।
🎨 वास्तु पेंटिंग उपाय (Remedies)
👉 ध्यान रहे: ये उपाय दोष को पूरी तरह समाप्त नहीं करते, बल्कि उसकी नकारात्मक ऊर्जा को कम करते हैं और वातावरण को संतुलित बनाते हैं।
🌞 1. रोशनी की कमी के लिए → सूर्योदय पेंटिंग
क्या लगाएँ: सूर्योदय, सुनहरी रोशनी वाले पहाड़ या चमकीला आकाश।
लाभ: सुबह की धूप और पॉज़िटिव एनर्जी वापस आती है।
स्थान: बाथरूम की बाहर वाली दीवार या दरवाज़े के सामने।
💧 2. नमी और सीलन के लिए → कमल और बहते पानी की पेंटिंग
क्या लगाएँ: सफेद/नीला कमल, बहती नदी या झरना।
लाभ: कमल शुद्धता का प्रतीक है और बहता पानी ताज़गी व ऊर्जा का प्रवाह दर्शाता है।
स्थान: बाथरूम के बाहर वाली दीवार।
💨 3. हवा की कमी के लिए → खुले आसमान और हरे जंगल की पेंटिंग
क्या लगाएँ: नीला आसमान, उड़ते पक्षी, तितलियाँ या हरे मैदान।
लाभ: हवा और खुलेपन का अहसास होता है।
स्थान: बाथरूम की बाहर वाली दीवार या आस-पास के लिविंग एरिया में।
🌿 4. ऊर्जा संतुलन के लिए → आध्यात्मिक पेंटिंग
क्या लगाएँ: ध्यान करते बुद्ध, ‘ॐ’ का प्रतीक, या सफेद रोशनी का चित्र।
लाभ: घर के ईशान कोण में शांति और आध्यात्मिक पॉज़िटिविटी आती है।
स्थान: केवल बाहर की दीवार पर, बाथरूम के अंदर नहीं।
🖼️ पेंटिंग लगाने के सुझाव
अंदर लगाने पर वॉटरप्रूफ फ्रेम का प्रयोग करें।
हल्के और शांति देने वाले रंग चुनें – जैसे नीला, सफेद, हल्का पीला, हरा।
पेंटिंग पर सॉफ्ट लाइट या स्पॉट लाइट लगाएँ ताकि रोशनी और पॉज़िटिविटी बढ़े।
बाथरूम हमेशा साफ, सूखा और हवादार रखें – तभी उपाय प्रभावी होंगे।
✅ सारांश
उत्तर-पूर्व में बाथरूम वास्तु दोष है।
इससे रोशनी की कमी, नमी, वेंटिलेशन और ऊर्जा असंतुलन होता है।
सूर्योदय, कमल, बहते पानी, खुले आसमान और आध्यात्मिक पेंटिंग्स इन समस्याओं को कम करती हैं।
ये उपाय दोष को पूरी तरह खत्म नहीं करते, लेकिन असर को हल्का और संतुलित बना देते हैं।
साफ-सफाई और वेंटिलेशन के साथ इनका प्रयोग सबसे अच्छा परिणाम देता है।
❓ अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQ)
Q1. उत्तर-पूर्व में बाथरूम क्यों दोष माना जाता है?
उत्तर: यह दिशा धूप, ज्ञान और शुद्धता से जुड़ी है। बाथरूम से आने वाली नमी, गंध और अंधेरा इसकी पॉज़िटिव एनर्जी को कम करता है।
Q2. क्या पेंटिंग से दोष पूरी तरह दूर हो सकता है?
उत्तर: नहीं। पेंटिंग केवल ऊर्जा को संतुलित करती हैं और दोष का असर कम करती हैं। संरचनात्मक बदलाव सबसे बड़ा समाधान है।
Q3. कौन-सी पेंटिंग सबसे असरदार है?
उत्तर: सूर्योदय पेंटिंग सबसे असरदार मानी जाती है क्योंकि यह धूप और रोशनी को प्रतीकात्मक रूप से वापस लाती है।
Q4. पेंटिंग कहाँ लगानी चाहिए?
उत्तर: बाथरूम की बाहर वाली दीवार सबसे सही स्थान है।
Q5. पेंटिंग के अलावा और क्या उपाय किए जा सकते हैं?
उत्तर:
अच्छी वेंटिलेशन और एग्ज़ॉस्ट फैन लगाएँ।
हल्के रंग की टाइल्स और लाइट का प्रयोग करें।
सुगंधित डिफ्यूज़र और सफाई का ध्यान रखें।
निष्कर्ष
उत्तर-पूर्व में बाथरूम वास्तु दोष ज़रूर है, लेकिन इसे सही रख-रखाव और सही पेंटिंग उपायों से काफी हद तक संतुलित किया जा सकता है।
सही पेंटिंग्स + सफाई + वेंटिलेशन मिलकर इस दिशा की ऊर्जा को फिर से पॉज़िटिव बनाते हैं।
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