
वास्तु टिप्स घर खरीदने से पहले हर होम बायर को ज़रूर देखने चाहिए
घर या फ्लैट खरीदना जीवन का सबसे बड़ा निवेश होता है। हर कोई चाहता है कि उसका नया घर उसे खुशहाली, सेहत और तरक्की दे। घर चुनते समय लोग अक्सर लोकेशन, प्राइस और सुविधाओं पर ध्यान देते हैं, लेकिन एक चीज़ जिसे नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए, वो है वास्तु शास्त्र।
वास्तु शास्त्र घर के हर कोने में पॉज़िटिव ऊर्जा लाता है। अगर फ्लैट सही दिशा और नियमों के हिसाब से बना हो, तो उसमें रहने वालों को धन, सुख-शांति और अच्छा स्वास्थ्य मिलता है।
इस ब्लॉग में हम जानेंगे – घर खरीदने से पहले कौन-से 10 सबसे महत्वपूर्ण वास्तु टिप्स चेक करने चाहिए।
क्यों ज़रूरी है घर खरीदते समय वास्तु देखना?
यह घर में पाँच तत्वों (पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश) का संतुलन बनाए रखता है।
सही वास्तु से करियर और फाइनेंस में सफलता मिलती है।
परिवार के सदस्यों की सेहत और रिश्ते मजबूत रहते हैं।
यह घर को नकारात्मक ऊर्जा से बचाता है।
घर खरीदने से पहले ज़रूर चेक करें ये 10 वास्तु टिप्स
1. मुख्य दरवाज़े की दिशा – घर का प्रवेश द्वार
सबसे अच्छी दिशा: उत्तर (North), पूर्व (East) और ईशान (North-East)।
बचें: दक्षिण-पश्चिम (South-West) दरवाज़े से।
दरवाज़ा साफ-सुथरा और रोशनी वाला होना चाहिए।
2. फ्लैट की लोकेशन – बिल्डिंग के अंदर आपका घर
उत्तर-पूर्व और पूर्व दिशा वाले फ्लैट सबसे शुभ माने जाते हैं।
दक्षिण-पश्चिम दिशा स्थिरता देती है, लेकिन वास्तु सुधार ज़रूरी है।
फ्लोर लेवल से ज्यादा मायने रखता है कि फ्लैट किस दिशा में है।
3. फ्लैट का आकार – कटे-फटे घर से बचें
आदर्श आकार: चौकोर या आयताकार।
बचें: टेढ़े-मेढ़े, कटे हुए या एक्सटेंशन वाले फ्लैट से।
अगर ऐसा हो तो वास्तु पेंटिंग्स या उपाय करें।
4. रसोई की जगह – अग्नि तत्व का संतुलन
सबसे अच्छी दिशा: दक्षिण-पूर्व (South-East) या उत्तर-पश्चिम (North-West)।
बचें: ईशान कोण (North-East) और दक्षिण-पश्चिम (South-West)।
खाना पकाते समय चूल्हा पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए।
5. बेडरूम की दिशा – नींद और शांति
मास्टर बेडरूम: दक्षिण-पश्चिम।
बच्चों का बेडरूम: पश्चिम या उत्तर-पश्चिम।
बचें: उत्तर-पूर्व दिशा में कपल्स का बेडरूम।
6. टॉयलेट और बाथरूम – साफ-सफाई और ऊर्जा संतुलन
सबसे अच्छी जगह: उत्तर-पश्चिम या दक्षिण-पूर्व।
बचें: उत्तर-पूर्व और दक्षिण-पश्चिम।
हमेशा दरवाज़ा बंद रखें और साफ-सफाई का ध्यान रखें।
7. बालकनी और खिड़कियाँ – ताज़गी का रास्ता
सबसे शुभ दिशा: उत्तर, पूर्व और उत्तर-पूर्व।
बचें: दक्षिण-पश्चिम बालकनी से।
खिड़कियों को साफ रखना ज़रूरी है ताकि पॉज़िटिव एनर्जी आती रहे।
8. लिविंग रूम – मेहमानों का स्वागत और समृद्धि
आदर्श जगह: उत्तर-पूर्व, पूर्व या उत्तर दिशा।
भारी फर्नीचर दक्षिण-पश्चिम में रखें और उत्तर-पूर्व को खाली रखें।
दीवारों पर सात घोड़ों की पेंटिंग लगाएँ।
9. पूजा घर या मेडिटेशन कॉर्नर – ईश्वर से जुड़ाव
सबसे अच्छी जगह: उत्तर-पूर्व (ईशान कोण)।
बचें: सीढ़ियों के नीचे, बाथरूम या बेडरूम में।
यहाँ भगवान, सूर्योदय या बुद्ध की पेंटिंग लगाना अच्छा होता है।
10. पानी की टंकी और स्टोरेज – अवसर और समृद्धि
ओवरहेड टंकी: पश्चिम या दक्षिण-पश्चिम।
अंडरग्राउंड टंकी: उत्तर-पूर्व।
उत्तर-पूर्व में ओवरहेड टंकी से बचें।
अन्य ज़रूरी वास्तु चेक
सीढ़ियाँ: दक्षिण, पश्चिम या दक्षिण-पश्चिम में।
बेसमेंट फ्लैट से बचें।
हल्के और सुखद रंगों का प्रयोग करें।
वास्तु कंप्लायंस चेकलिस्ट
वास्तु पहलू | सही दिशा | बचें | टिप्स / उपाय |
---|---|---|---|
मुख्य दरवाज़ा | उत्तर, पूर्व, उत्तर-पूर्व | दक्षिण-पश्चिम | साफ और रोशन रखें |
फ्लैट का आकार | चौकोर / आयताकार | कटे-फटे | वास्तु पेंटिंग से सुधार |
लिविंग रूम | उत्तर, पूर्व, उत्तर-पूर्व | दक्षिण-पश्चिम | भारी सामान दक्षिण-पश्चिम में |
रसोई | दक्षिण-पूर्व / उत्तर-पश्चिम | उत्तर-पूर्व / दक्षिण-पश्चिम | चूल्हा पूर्व की ओर रखें |
मास्टर बेडरूम | दक्षिण-पश्चिम | उत्तर-पूर्व | स्थिरता और नींद के लिए अच्छा |
बच्चों का बेडरूम | पश्चिम / उत्तर-पश्चिम | दक्षिण-पूर्व | बच्चों के विकास के लिए अच्छा |
बाथरूम / टॉयलेट | उत्तर-पश्चिम / दक्षिण-पूर्व | उत्तर-पूर्व / दक्षिण-पश्चिम | साफ-सफाई ज़रूरी |
बालकनी / खिड़कियाँ | उत्तर, पूर्व, उत्तर-पूर्व | दक्षिण-पश्चिम | रोशनी और हवा का प्रवेश |
पूजा घर | उत्तर-पूर्व | बाथरूम/सीढ़ियों के नीचे | भगवान / सूर्योदय की पेंटिंग |
पानी की टंकी | ऊपर: पश्चिम/दक्षिण-पश्चिम नीचे: उत्तर-पूर्व | उत्तर-पूर्व में ऊपर | वित्तीय स्थिरता |
निष्कर्ष
फ्लैट खरीदने से पहले वास्तु नियमों पर ध्यान देना बहुत ज़रूरी है। सही दिशा और डिज़ाइन वाला घर आपको शांति, समृद्धि और खुशियाँ देगा। अगर आपका घर पूरी तरह वास्तु के अनुसार नहीं भी है, तो आप सरल उपाय और वास्तु पेंटिंग्स से ऊर्जा का संतुलन बना सकते हैं।
घर सिर्फ दीवारों से नहीं बनता, बल्कि उसमें बसने वाली ऊर्जा और भावनाओं से बनता है। इसलिए नया घर चुनते समय वास्तु को ज़रूर ध्यान में रखें।
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